Desh ke Neta
Desh ke Neta

देश के नेता बोल रहे

( Desh ke neta bol rahe )

 

कुर्सी की चाहत में देखो
देश के नेता सब डोल रहे
करते फिरते हैं मनमानी
हाय हाय कमल दल बोल रहे,

कहीं बिगड़ रही है इनकी बात
कहीं संभल रही हैं” मन की बात”
करना धरना कुछ भी नहीं हो चाहे
पोल ये नेता एक दूसरे की खोल रहे।।

करते है खींचा तानी शब्दो से अपने ,
भविष्य उज्ज्वल है यह बोल रहे
देश की मिट्टी से तिलक नही ये तो ,
जात पात की भाषा अब बोल रहे ।।

अलग अलग संगठन बन गए हैं सबके
अलग अलग बने है अब गलियारे इनके
कुर्सी के लालच में आकर देखो यह अब
जंतर मंतर पर जाकर भी ये बोल रहे ।।

चुनाव के आते ही ये सारे के सारे
धारण कर राजनीति की पोशाक
बरसात के मेंढक बनकर ये उभरे
देखो गली-गली बाराती डोल रहे।।

देंगे सबको गली मोहल्ला बिजली
पानी बर्तन सब अब ये बोल रहे,
चुनाव आने पर विजय कराना होगा
ये देखो अब देश के नेता बोल रहे ।।

आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश

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