धैर्य ( Dhairy )
धैर्य यानी वह धागा जो आपको जोड़े रखता है। टूटने नही देता। यह एक ऐसी लौ है जो दिखती नही है। जो इसे जलाए रखता है, बुझने नही देता उसका जीवन प्रकाशमान हो जाता है।
कुछ वर्ष पहले शिव खेड़ा की “जीत आपकी”पढ़ी थी। उसमें उन्होंने चीन में पाए जाने वाले एक ऐसे बांस की कहानी लिखी है जिसे लगाने के बाद करीब 4 वर्ष तक कोई रेस्पॉन्स नही मिलता। पता ही नही चलता पौधा चल रहा है या नही।
सब्र बनाये रखते हुए उसकी निरंतर देख-रेख करनी होती है, खाद -पानी डालना होता है। गमले के ऊपर हम देखते हैं कि उस पौधे में कोई वृद्धि नही हो रही लेकिन ऐसा नही है।
उस बांस के पौधे की जड़ें मिट्टी के अंदर निरंतर विकसित होती रहती हैं।करीब 4 वर्ष तक ऐसी ही स्थिति रहती है।
5वें वर्ष में प्रवेश करते ही अगले 6 महीने में वह पौधा हमारे देखते ही देखते बड़ा और बड़ा होता चला जाता है और वृक्ष बन जाता है। पौधे का वृक्ष बनना पिछले 4 वर्षों के सब्र का परिणाम है।
धैर्य का इससे बेहतर उदाहरण और क्या हो सकता है!! धैर्य है भी ऐसा ही।जब यह प्रक्रिया में होता है तब कोई परिणाम नही दिखते लेकिन जैसे ही इसका वर्तुल पूरा हुआ जमाना चकित रह जाता है। फिर बूंद बूंद नही मिलता छप्पर फाड़ के मिलता है।
बहुत से लोग धैर्य की उस लम्बी प्रक्रिया से उकताकर लक्ष्य छोड़ देते हैं, हार मान लेते हैं। वो नही समझ पाते कि धैर्य रूपी उस पौधे की जड़ें अंदर ही अंदर विकसित हो रही हैं।
जो लोग परिणाम की आशा न देखकर पौधे की देखभाल करना छोड़ देते हैं वो नही जान पाते कि वह लक्ष्य के कितना करीब पहुंच चुके थे।
हम लोग तो त्वरित परिणाम चाहते हैं, बस कल का लगाया हुआ पौधा 1-2 दिन में वृक्ष बन जाये और फल देने लगे!!
हर चीज की एक प्रक्रिया है, वर्तुल है, समय-सीमा है। हर इंसान के लिए इस वर्तुल की समय-सीमा अलग-अलग है। यह उसके द्वारा की गई मेहनत, उसके संस्कारों और अंदरूनी गुणों पर निर्भर है।
इसी वजह से किसी को 6 महीने में परिणाम मिलने शुरू हो जाते हैं तो किसी को 6 वर्ष तक इंतजार करना पड़ता है।
जीवन मे कुछ भी पाने के लिए धैर्य का होना बहुत जरूरी है। सफलता का ताला धैर्य रूपी जादुई चाभी से ही खुलता है।
लेखक : भूपेंद्र सिंह चौहान
Behtarin .. kafi samay baad kuchh achchaa padhne ko mila .. keep it up..
जी…धन्यवाद??