धीरज | मनहरण घनाक्षरी छंद
धीरज
( Dheeraj )
नर धीरज धारिये, संयम धरे विचार।
धीरे-धीरे बढ़ चलो, ध्वज लहराइये।
धैर्यपूर्वक जो चले, शील गुणी जन जान।
धीरे-धीरे मुखर हो, पहचान पाइए।
धीर अमोध अस्त्र है, मृदु वाणी सुरज्ञान।
सुर लय तान बन, गीत मीत गाइए।
रणबीर बलवीर, समर न धरो धीर।
राष्ट्रहित रणभूमि, वीरता दिखाइए।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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