Dil Machalta hai
Dil Machalta hai

दिल मचलता है

( Dil machalta hai ) 

 

हमने तुमको तो कभी दिल से निकाला ही नहीं
और तुमने तो कभी हमको पुकारा ही नहीं

याद आती है तसव्वुर में ही जी लेते हैं
तुमसे मिलने का यहाँ कोई बहाना ही नहीं

ग़म की बदली तो बहरहाल नहीं छँटने की
और मेरे पास में जीने का सहारा ही नहीं

दिल मचलता है सदा साथ तेरा पाने को
बे मुरव्वत तू झलक अपनी दिखाता ही नहीं

तू जो मिल जाए हमें तो ये जहां छोड़ भी दें
तुझ सा जालिम तो पता अपना बताता ही नहीं

इक तमन्ना है तुम्हारे ही तो पहलू में रहें
और तुमने मेरी जानिब कभी देखा ही नही

अब भी उम्मीद लिए अश्क़ बहाते हैं हम
कोई मिलने की हमें राह दिखाता ही नहीं

 

रचनाकार: डॉ अलका शर्मा
भिवानी, हरियाणा

 

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