दिल से मुहब्बत

दिल से मुहब्बत

दिल से मुहब्बत

 

 

रहेगी उससे हमेशा ही मुहब्बत है

जिसे मुझसे रही हर पल अदावत है

 

बहुत कोशिश उसे की भूलने की

न उसकी याद से दिल को ही राहत है

 

मुहब्बत से उसे जब भी निहारुं

बड़ी ही देखता वो तो नज़ाकत है

 

वफ़ाओ की ख़ुशबू क्या वो  फ़ैलायेगा

मुहब्बत की न सांसों में नज़ाकत है

 

यकीं कैसे करुं आज़म वफ़ा पे मैं

मुहब्बत में वो ही बदले फ़िदरत है

 

 

✏शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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