दिल तो करता है कि | Dil to Karta Hai Ki
दिल तो करता है कि
( Dil to Karta Hai Ki )
धूप को बांध एक गठरी में
हवा का रुख मोड़ दूं …
सहरा की तपती रेत में
पानियों की बौछार कर दूं…
दिल को भींच हाथों में
लहू हलक में उसके उतार दूं…
उधड़ती बुनती ज़िंदगी को
ऊन का गोला सा बना उछाल दूं…
क्या कहेगा कोई, क्या कहेगी दुनिया
हमाम में उतरते सबकी ,इक तस्वीर दिखा दूं…
दिल तो करता है बहुत कि
रहती दुनिया को अपना किरदार दिखा दूं
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )