
दिल तोड़ कर दिल लगाना बुरा है
( Dil Tod Kar Dil lagana Bura Hai )
दिल तोड़ कर दिल लगाना बुरा है!
नज़र से नज़र फिर मिलाना बुरा है!!
रखी हुई चीज़ कोई उठाना बुरा है!
अमानत किसी की ले आना बुरा है!
वक़्त की नज़ाकत है फासले रक्खो,
चलना संभल कर जमाना बुरा है!
करो इश्क़ यूं के अंजाम तक पंहुचे,
दिल में रह कर दिल दुखाना बुरा है!
दहलीज़ पे घर की दस्तक रख दो,
खामोशी से घर में आ जाना बुरा है!
रिश्ता दर्दमन्दों से रखना सदा क़ायम,
रिश्ते जुबां से महज़ निभाना बुरा है!
मुहब्बत दिल में किसी के जगा कर,
नज़र से दूर फिर हो जाना बुरा है!!
शायर: मोहम्मद मुमताज़ हसन
रिकाबगंज, टिकारी, गया
बिहार-824236