दोस्त | Kavita Dost

दोस्त

( Dost )

चलो मिलकर धमाल करते हैं
आज दोस्ती में कुछ विशाल करते हैं
अपने तौर-तरीके से
अपनी समझ – सलीके से
कुछ नयापन पुराने में घोलना
आपस में कुछ, कुछ घुल सा जाना !
युग-युगांतर का भेदभाव नहीं करना
अच्छाई सीखना, बुराई विस्मृत करना
कर्मठ इंसान हमें बनना है
अकेले नहीं साथ-साथ चलना है !
दिल को दरियादिल बनाओ
उसमें खुद डूबो, दूसरों को भी डुबाओ
आँधी, बारिश, प्रलय…
ना हमको हिला पाए,
चट्टान सा हौसला बनाए
मन से दूर करो कुविचार ,
जीवन बनेगा सदाचार !
जातिवाद, नेतावाद से ऊपर उठकर चलेंगे
इंसान हैं, इंसानियत से चलेंगे
दोस्त! दोस्ती का वसूल याद रखना
सारे कुकर्म को ताक पर रखना
भ्रम नहीं, प्रेम फैलाएँ
हर कोई अपने जैसा ही है
आगे बढकर हाथ मिलाएं
इंसान कोरोना नहीं जो दूर से हाथ जोड़ना है
सब मिल जाओ,
आज शत्रुओ का वहम् तोड़ना है ।

प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

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