महावीर जयंती पर विशेष
( Mahavir jayanti par vishesh )
त्याग तपस्या भरा स्वामी महावीर का जीवन।
अहिंसा के मूर्तिमान वो किया प्रभु का चिंतन।
जैन धर्म के तीर्थंकर वो महावीर बुद्ध कहलाए।
सिद्धार्थ घर जन्मे स्वामी वर्धमान रूप में आये।
जाति पांति भेदभाव को जड़ से चले मिटाने।
पंच महाव्रत धर्म चलाया अचलेश्वर को पाने।
त्याग संयम प्रेम करूणा शील और सदाचार।
ब्रह्मचर्य और अहिंसा सारे प्रवचनों का सार।
जियो और जीने दो हम सब की आत्मा एक है।
ईश्वर का वास वहां पे होता विचार जहां नेक है।
दिगंबर मौनव्रत रहकर तपस्या की कठोर सारी।
अपरिग्रह सिद्धांत दिया मुक्ति संदेश दिया भारी।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
यह भी पढ़ें :-