प्रकृति व स्त्री विमर्श

“प्रकृति व स्त्री विमर्श”: स्त्रीत्व की नई रचना, डॉक्टर सुमन धर्मवीर की कलम से

डॉक्टर सुमन धर्मवीर जी की पुस्तक – “प्रकृति व स्त्री विमर्श “
पढना शुरु किया —
लेखिका के लेखन मे प्राण है।
नया जीवन है—-
🙏🏻🙏🏻
मन लग जाता है पढते पढते।

ऐसा है जीवन्त लेखन लेखिका का—
🙏🏻🙏🏻
बहूत अच्छा लिखती हैं
सामाजिक परिवेश पर।

लेखिका के लेखन को
हम नमन करते है।

अंधकार से प्रकाश की ओर बढाने वाला है इनका लेखन।
🙏🙏

इनके लिखे नाटक “मानव धर्म” को पढते पढते ऐसे लगा जैेसे
मैं भी
अजान ओर आरती के बीच हो रहे विवाद के बीच फंस गया हूं।
बहुत खूब।
राम भक्ति, अल्लाह भक्ति

दिखाई दोनो ने शक्ति

🙏🙏
बहुत बेहतरीन चिंतन और चित्रण
किया।
साम्प्रदायिक मानसिकता से इंसान उठे ऊपर।
🙏🙏

नाटकों के अलावा इनकी एक कहानी “शादी ” मुझे कहानी से ज्यादा नाटक प्रतीत हुई।
हमने पढा
“शादी “

विवाह

वाह– वाह वाह—

पढा “शादी ” का चैप्टर
गजब के एक्टर ।

बहुत अच्छा एक सामाजिक पारिवारिक अध्ययन
भी—।
जिन्हे शादी का तरीका ना मालूम हो। वे सामाजिक पाठ भी पढ सकें
आगे बढ सकें—।
बहुत गजब की रचना।

हम तो पढते पढते
पहुंच जाते है
दूसरी दुनियां में—-
बहुत रूचिकर ,
मधुर।
जिस पर
कोई फिल्म बना सकता है–।

बहुत ही जीवंत ओर मार्मिक–
जेसे कोई फिल्म देख रहे हो–
फिर आगे क्या हूआ–
करते करते–
🙏🏻🙏🏻
बहूत खूब
बहुत अच्छे
सुलझे हुऐ विचार।

“करण ”
ये भी मुझे कहानी से ज्यादा नाटक लगी।
यममी
और
यमया

का चित्रण ।

लैटरिन सी सी सी करके कराने तक का वर्णन गजब का किया है—
क्या मार्मिकता से लिखती हैं–
गजब पर गजब—-
ऐसा चित्रण शब्दों से करना
बहुत गजब है—
वास्तव में चित्रण ही गजब का है।
🙏🏻🙏🏻

हकीक़त में डॉक्टर सुमन धर्मवीर का लेखन बहुत सम्माननीय है।
वे परम सम्माननीय हैं।लेखिका पर एक कविता मेने लिखी है।

आप मेरे लिए
थकान के बाद आराम

बीमार को
दवा जेसे हो।

पीएच डी वाले होगें डाक्टर किसी ओर के लिए

मेरे लिए सर्जन है आप।

पढता हूं जब आपको
मेरा इलाज हो जाता।

कहीं और खो जाता।।

ये तो भीतर के भाव हैं।
आपका बहुत आदर है
लगाव है।।

बहुत बेहतरीन साहित्यकार हैं।
आप भीतर का चिराग हैं
बाहर बहुत अंधकार है।।

🙏🏻🙏🏻🇮🇳

ओजस्वी

“मार्डन विधवा ”
कविता में

विधवा होने बाद
महिला का दमघोटू जीवन से
आगे बढने की प्रेरणा देती कविता
बहुत सराहनीय है।
🙏🙏
कविता “पंचतत्व”

कहीं नही जाउंगी मरकर

तुम मुझे महसूस कर लेना—
🙏🏻🙏🏻🌹🙏🏻🙏🏻

बहूत खूब।
ये पॅच तत्व तत्व
यहीं का यहीं है।

मिट्टी में।
सांसो मे
पानी में।
सुर्य नमस्कार में।
आकाश के खालीपन में।
🙏🏻🙏🏻

कविता “मृत्युभोज”

हे माई ..

मैं हूं पेट से—-

क्या जरूरी है मृत्युभोज—

बहुत अच्छी रचना।
बहुत खूब ।

“डैडी ऐसा लडका ढूंढना—” कविता में व्यक्त
एक विवाह योग्य लड़की की चाह..
वाह..! वाह..
पढ़ने व समझने लायक।
🙏🏻🙏🏻
अगली कविता “दारू का नशा फुर्र हो गया”

बहुत सुंदर रचना
नशे से मिटता नूर—
🙏🏻🙏🏻

लेखिका का सोच विचार
भी प्योर है। तभी उन्होंने
“प्योर हार्टेड वूमेन” कविता लिखी।

हमें लेखिका पर गर्व है।

यह रचना
संत साहेब कबीर की राह पर चलाने वाली होकर
अंधविश्वास आडंबर रूढ़िवाद को जीवन से दूर करने वाली है।
जिसे व्यक्तिगत तौर पर मैं खूब लाइक करता हूं।

🙏🙏

मदन सालवी ओजस्वी
दलित साहित्य अकादमी राजस्थान चित्तौरगढ़ जिला अध्यक्ष
स्वतंत्र लेखक भारतीय मिशन मीडिया

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