Ghazal dushmani dekhiye

यार अच्छी नहीं दुश्मनी देखिए | Ghazal dushmani dekhiye

यार अच्छी नहीं दुश्मनी देखिए

( Yaar achi nahi dushmani dekhiye )

 

 

यार अच्छी नहीं दुश्मनी देखिए
रख हमेशा मुझसे दोस्ती देखिए

 

जो जवां होने से पहले मुरझाती है
 है मसलने को वो ही कली देखिए

 

याद इतना मुझे आता वो रात दिन
रोज़ बढ़ने लगी बेख़ुदी देखिए

 

मुरझायी है ख़ुशबू प्यार की इसलिए
रूठी है फ़ूलों से शबनमी देखिए

 

प्यार के ही किनारो पे कैसे जाये
नफ़रतों की बही है नदी देखिए

 

इसलिए वो ख़रीद पाया आटा नहीं
जिंदगी की उसकी मुफ़लिसी देखिए

 

प्यार की नज़रें आज़म मिलाता था जो
गैर चेहरा दिखाए  वही देखिए

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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