एक प्यारी बेटी जल गयी आग में

एक प्यारी बेटी जल गयी आग में

एक प्यारी बेटी जल गयी आग में

 

 

एक प्यारी बेटी जल गयी आग में !

आसुओं में निगाहें मां की भर गयी

 

 

बेटियों के बिन देखो घर होता नहीं

ये है तो सब कुछ है हाँ वरना कुछ नहीं

 

मत करो जुल्म नाजुक फूलों के  जैसी

है बेटी प्यारी इज्जत घर की ए लोगों

 

जालिमों को जला दूँ जिंदे सच कहूँ

बेटियां कर दी बरबाद है जिन्हों ने

 

हो गया है मुश्किल बेटियों का चलना

राहों में ही खड़े बेटियों के  क़ातिल

 

की ये है तो हम है ये नहीं हम नहीं

बेटियों को दो इज्जत मुहब्बत सदा

 

शहर हो गांव हो है घिरी मुश्किल में

देखिए आज़म कब सुरक्षित है बेटियां

 

 

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शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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मैं ढूंढ़ता उसका ही रहा घर

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