पहला प्यार
पहला प्यार

 पहला प्यार 

FIRST LOVE
(An one sided love story)
                     PART-1
मैं कानपुर जाने के लिए तैयार हूँ। मैं वहां रहकर JEE एंट्रेंस की तैयारी कर रहा हूँ। इसका एग्जाम 21 मई को है।अभी मेरे पास 3 महीने हैं। मैंने अपने सबसे खास दोस्त सोनू से कहा है कि वह मुझे बस स्टैंड तक छोड़ दे क्योंकि गांव से समय पर वाहन नही मिलता।
मैंने पिछले वर्ष भी इसका एग्जाम दिया था लेकिन क्वालीफाई नही कर सका था। वह दिन मुझे अच्छी तरह याद है जब मैंने साइबर कैफे में इसका RESULT देखा था।वह मेरा सबसे बुरा दिन था।तब मेरा दोस्त मुकेश मेरे साथ था।मैं आपको बताऊं वह मेरा पहला प्रतिस्पर्धी एग्जाम था और कैफे के अंदर जाते हुए मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था।
मुकेश ने मेरा कन्धा थपथपाया। वह कैफे मालिक के कंधे पर हाथ रखकर उसके बगल में बैठ गया। मैं सोचता हूँ कि वह इतना आत्मविश्वास कैसे लाता है जबकि मेरा RESULT के चक्कर में घिघ्घी बंधी हुई थी। मैं उसके साथ काफी समय तक रहा हूँ इसलिए उसकी इस आदत से परिचित हूँ जबकि कैफे मालिक  शायद अभी तक सोच रहा था कि क्या हम पहले मिल चुके हैं।
मुझे याद है कैफे मालिक को रोल नंबर देते समय मेरे हाथ कांपे थे जबकि मुकेश नॉर्मल था क्योंकि उसे आये दिन ऐसी चीजों का सामना करना पड़ता है।वह काफी समय से भारतीय सेना में जाने की तैयारी कर रहा है। उसका डील-डौल, हाव-भाव फौजियों जैसा ही है।
वह बहुत ही लंबा,सुगठित शरीर वाला ऐसा जैसा कि जीव विज्ञान की किताबों में दिखता है। वह आर्मी में जॉइन होने की सारी अर्हताऐं पूरी करता है बशर्ते एक चीज के।वह सिद्धांतवादी है। आज के भ्रष्टाचारी दौर में रहकर भी वह सोचता है बिना घूस दिए वह भारतीय सेना में चला जायेगा।
लेकिन कुछ भ्रष्ट अफसर और दलाल ऐसा नहीं सोचते ।वह लोग बिना हलाल किये जॉइन नही करने देंगे। उन दिनों इंडियन आर्मी में जाने के लिए 4 तरह की परीक्षाएं होती थीं।तीन परीक्षाएं ऑफिसियल थीं-शारीरिक परीक्षा,लिखित परीक्षा और मेडिकल जबकि चौथी अघोषित प्रक्रिया”घूस”थी।
वैसे दलालों का कोई खास काम नही है ये सिर्फ चिंतातुर अभिभावकों के डर को भुनाते हैं और 50,000-2,00,000₹ तक ऐंठ लेते हैं। चूंकि अभिभावक दौड़ निकालने के बाद किसी भी कीमत पर अपने लड़के को भर्ती करवाना चाहते हैं इसलिए वह मजबूरन कर्ज लेकर/गहने-खेत गिरवी रखकर या बेचकर अपनी गाढ़ी कमाई इन अल्पबुद्धि दलालों को दे देते हैं।
मुकेश और उनके परिजनों ने तय किया था कि अपनी मेहनत से बिना पैसा खर्च किये नौकरी जॉइन करेंगे इसलिए वह कई भर्तियों में दौड़ निकालने के बावजूद अभी तक चयनित नही हुआ था।
“Sorry!!!” कैफे मालिक ने मेरा 2 बार रोल नम्बर चेक करने के बाद कहा।
मैं अपने जीवन की पहली प्रतिस्पर्धी परीक्षा में फेल हो गया था।
Welcome to jindgi
“कोई बात नहीं यार…अगले साल कोशिश करना”मुकेश ने मुझसे कहा था जब मैं अपने आंसुओं को छिपाने की नाकाम कोशिश कर रहा था।
“मैंने मेहनत की थी लेकिन शायद एग्जाम की कठिनाई को समझ नहीं पाया”मैंने खुद को संभालते हुए कहा।
 मुझे याद है मैंने 30₹कैफे मालिक को दिए उसने 10₹ मुझे वापस लौटा दिए।
“अगर पास हो जाते तो ₹100 लेता”कैफे मालिक ने अपनापन दिखाते हुए कहा था। मैं चुपचाप वहां से बाहर निकल आया था।
अब इसी JEE को Crack करने के इरादे से कानपुर जा रहा हूँ। अगले 3 महीने मैं वहीं रहकर तैयारी करूँगा।मैंने और सोनू ने 2 हफ्ते पहले कमरा तय कर लिया था।
शाम ढल चुकी है।सोनू मुझे बस स्टैंड तक छोड़ने आया है।
“जब पहुंच जाना तो फोन करना”सोनू ने कहा।
मैं बस में बैठ गया हूँ।मैंने सिर हिला दिया लेकिन कुछ कहा नहीं। मैं गुमसुम हूँ।गांव, क्रिकेट और अपने दोस्तों को छोड़ना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन निष्ठुर जिंदगी यह सब नही समझती यह ऐसे ही चलती रहती है।और यह बस भी । यह मेरी सारी भावनाओं, यादों को अपने पहियों से कुचलते हुए न मालूम मुझे कहाँ लिए जा रही है।
मैं अभी रास्ते में हूँ तभी सोनू का फोन आया है।
“और कहाँ हो अभी”उसने पूछा। वह अक्सर ऐसा करता है ये जानते हुए कि अभी मैं पहुंचा नही होऊंगा लेकिन फिर भी बार-बार फोन करके पूछता रहता है।
उसका फिक्र जताने का यही तरीका है लेकिन वह ऐसा कभी स्वीकार नहीं करेगा।
करीब 20 मिनट बाद मैं अपने मकान मालिक के गेट के सामने हूँ।शाम गहरा चुकी है लेकिन शहर अपनी उम्मीदों और रोशनी से जीवंत है।
“Hello अंकल!!”मैंने गेट से झांकते हुए कहा।
“कौन” उधर से रौबीली आवाज आई।
“मैं नि……” मेरे इतना कहने से पहले ही मकान मालिक शर्मा अंकल का बच्चा सोमू आकर गेट खोल देता है वह मुझे दुमंजिले से देख रहा था।यह मकान तीन खण्ड का है। 1st फ्लोर में एक कमरा और गैलरी है लेकिन वहां कोई नही रहता। 2nd फ्लोर में मकान मालिक और उनका परिवार रहता है जबकि 3rd फ्लोर में 2 कमरे हैं।
एक हाल नुमा कमरा जो कि फैमिली रूम है जबकि दूसरा स्टडी रूम। मैं इसी रूम में 750/माह के किराए पर रहने आया हूँ। मैं अपने कमरे में आ गया हूँ। मेरे कमरे की सबसे अच्छी बात ये है कि इसके सामने रेलिंग लगी है जहां से आप पूरी गली को निहार सकते हैं।
अगर आपका मन उचाट है तो आप रेलिंग पर खड़े हो जाइये,नीचे क्रिकेट खेलते बच्चे, फेरी वाले,सामने के मकान में हमेशा बजते रहने वाला म्यूजिक सिस्टम आपके मूड को ठीक कर देंगे।
मैं यहां आ तो गया हूँ लेकिन मेरा मन नही लग रहा है। गांव की यादें बुरी तरह से मुझे झकझोर रही हैं।रात के करीब 8 बजने को हैं। शाम को यह शहर और जवां हो जाता है।अगर अपना कोई साथ में है तो इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है लेकिन अकेलेपन में यह शहर बुरी तरह डसता है। जैसे जैसे रात गहराती जा रही है मेरा अकेलापन और स्याह होता जा रहा है।
                  अगला दिन
आज कोचिंग में फिजिक्स का टेस्ट था मैं टेस्ट दे आया हूँ ज्यादा अच्छा नही हुआ । गांव की यादों और यहां के अकेलेपन से संघर्ष कर रहा हूँ। उस फ्लोर में मैं अकेला ही रहता हूँ।पुराना किराएदार कमरा छोड़कर जा चुका है। मकान मालकिन जिन्हें मैं आंटी जी कहता हूं ने बताया है कि जल्द ही नया किराएदार अपनी फैमिली के साथ रूम में रहने आएगा। मैं खुश हूं कि मेरा अकेलापन थोड़ा सा कम होगा।मैं गांव से एक रेडियो ले आया हूँ।
यही मेरे अकेलेपन का साथी है।मैं सोचता हूँ कि अनजान शहर में रहकर पढ़ाई करने वाले लड़कों के लिए रेडियो से बेहतर दूसरा साथी नही हो सकता।
मैं रेलिंग में खड़ा गुनगुनी धूप का मजा ले रहा हूँ नीचे गली में बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं। कभी कभी कोई ऊंचा शॉट मेरी रेलिंग पर आकर गिरता है मैं चुपचाप उन्हें गेंद वापस कर देता हूँ।
                    पहली मुलाकात
आज मेरा टेस्ट result आना है।मैं सुबह से ही रोमांचित हूँ।मेरी कोचिंग 10-11.30 तक होती है।मैं कोचिंग जाने के लिए तैयार हूं और रेलिंग की तरफ का गेट बंद करने जा रहा हूँ तभी मेरी नजर सामने वाले मकान की छत पर पड़ती है। एक लड़की अपनी छत पर टहल रही है। मैंने इससे पहले उसे नही देखा है।उसका चेहरा मेरी तरफ ही है लेकिन वह मुझे नही देख रही है।उफ!!!
वह बेहद खूबसूरत है।वह हल्का क्रीम कलर का सलवार सूट पहने है।वह लम्बी और भरे पूरे बदन की है।उसके बाल खुले हैं और कमर तक लहरा रहे हैं।वह शायद नहा कर आई है और बाल सुखा रही है। मैं बस उसे ही देखे जा रहा हूँ।अब वह दोनों हाथ उठाकर बालों का जूड़ा बनाने लगती है । वह क्लेचर अपने दांतों के बीच दबाए हुए है।मैं नजरें नही हटा पा रहा। मैं भूल ही गया हूँ कि मुझे कोचिंग भी जाना है।
अचानक वह मुड़ती है और सीढियों से नीचे उतर जाती है।
अब मुझे ख्याल आया है कि मैं पूरे 12 मिनट से यहां खड़ा हूँ।मैंने अपने सिर पर चपत मारी और मुस्कुराते हुए कमरे के दोनों गेट लॉक कर कोचिंग सेंटर के लिए निकल गया हूँ। कोचिंग सेंटर मेरे रूम से 15 मिनट की दूरी पर है।मैं पैदल ही वहां जाता हूँ।मैं तेज कदमों से चलकर समय की भरपाई कर रहा हूँ। वह लड़की मेरे जेहन में बस सी गयी है मैं उसी को सोचता हुआ चला जा रहा हूँ।
मैं कोचिंग 10 मिनट की देरी से पहुंचा हूँ।मेरी Ans. शीट मुझे दी गई है।मैंने स्कोर चेक किया 50 में से 27 ।
“Average but not bad”मैंने सोचा।कमोबेश मेरी क्लास के अधिकतर लड़कों का स्कोर 20-30 के बीच है।उस क्लास में 1-2लड़के ही फ्रेशर हैं बाकी सब 2-3 साल के रिपीटर हैं।
“कुछ नहीं होने वाला तुम लोगों का…सेलेक्शन के बारे में भूल जाओ”Dr. ओमर सर ने कहा।
ओमर सर इस कोचिंग सेंटर के कर्ता-धर्ता हैं।वह पीएचडी हैं और  यहां पढ़ाने के अलावा कोचिंग मंडी में भी क्लासेस लेने जाते हैं।
हम सबने उनसे नजरें नही मिलायीं। मेरा स्कोर इतना बुरा नहीं है लेकिन लाखों प्रतियोगियों के बीच JEE एंट्रेंस में  इन नम्बरों से अच्छी रैंक नही लायी जा सकती।वह लड़की मेरे ख्यालों में बार-बार आ-जा रही है । मैं ओमर सर की बातों पर पूरा ध्यान नहीं दे पा रहा हूँ।मेरा मन उसी छत पर अटका हुआ है। मैं जल्द से जल्द अपने रूम पर पहुंच जाना चाहता हूं।
                       रूम पर
मैं अपने रूम का ताला खोलकर अंदर आ गया हूँ।मैंने झट से रेलिंग वाला गेट खोलकर सामने छत पर देखा है।मुझे वहां कोई नहीं दिखा।मैं उदास हो गया हूँ। मैंने अपने गले से बैग उतारा और कील पर टांग दिया।अभी मुझे खाना बनाना है और ओमर सर द्वारा दी गईं ढेर सारी वर्कशीट Complete करनी हैं।
लेकिन मेरा मन बार-बार उस लड़की को देखना चाह रहा है।बस एक बार दिख जाए फिर मैं अपना काम करना शुरू कर दूं।इसी चाह में मैं फिर से रेलिंग पर पहुंच गया हूँ लेकिन वह लड़की मुझे नही दिखी।थक-हार कर मैं बिस्तर पर लेट गया हूँ। मैंने आंखे बंद कर ली हैं।मैं उसी के बारे में सोच रहा हूँ। वह दिख क्यों नही रही?? कहीं चली तो गयी??यह ख्याल आते ही मैं बेचैन हो गया हूँ और फिर से सामने छत की ओर देखने लगा हूँ।
करीब 5 बजे शाम को मैं नीचे खेलते बच्चों को देख रहा हूँ। मेरा मन उचाट सा है।ऐसा लग रहा है जैसे कोई चीज खो गयी है।अचानक मैंने देखा कि वह छत पर आई है।मेरे सीने में कोई चीज तेजी से धड़कने लगी है।सुबह से छाई उदासी पल भर में ही गायब हो गयी ।
‘हो न हो यह मेरी वजह से ही आयी है’मैं सोच रहा हूँ। यह ख्याल आते ही मेरा चेहरा सुर्ख होता जा रहा है।वह अपनी छत पर टहलते हुए मेरी तरफ चल कर आ रही है। मेरा कलेजा धाड़-धाड़ कर धौंकने लगा है। उसने एक पल मुझे देखा फिर रेलिंग पर खड़ी होकर सड़क की ओर देखने लगी है।हम दोनों आमने सामने हैं लेकिन नजरें नही मिला रहे।क्या वह मेरे लिए ही आयी..क्या उसको भी मेरे प्रति उतना ही महसूस हो रहा है जितना मुझे उसके प्रति। मैं नजर चुराकर उसे पलभर को देख लेता हूँ।
वह अपनी रेलिंग पर दोनों हाथों से टेक लगाए बच्चों को झगड़ते देख रही है।वह थोड़ा सा मुस्कुरा रही है या शायद यह मेरी ही कल्पना है। नीचे म्यूजिक सिस्टम में आमिर खान-जूही चावला का “काश कोई लड़की मुझे प्यार….”बज रहा है। आज सब कुछ अच्छा लग रहा है ।
ऐसा लग रहा है इस दुनिया मे जो भी पाने योग्य है सब मुझे हासिल हो गया है।
मेरे फोन की घंटी घनघनाई।सोनू है।
“Hello….”उसने लड़कियों जैसी आवाज निकालते हुए कहा। जब वह अत्यधिक खुश होता है तब ऐसी ही ऊल-जलूल की हरकतें करने लगता है।
“और…क्या हो रहा” मेरी आवाज से खुशी झलक रही है।वह अब भी मेरे सामने है।
“कुछ नही…बहुत खुश हो आजकल..बात क्या है” वह ताड़ गया है।
“यहां आओ फिर बताते हैं..”मैं भी अब खुद को रोक नही पाया हूँ।
“लाटरी लग गयी क्या…”उसने हंसते हुए कहा।
“शायद..”मैंने कहा और मेरे चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ गयी है।वह लड़की  मेरे सामने है।
“निखिल……” एक कर्कश ध्वनि मुझे सुनाई दी।आंटी जी ने मुझे आवाज लगाई है।
“बाद में बात करता हूँ” मैंने सोनू से कहा और फोन काट दिया।
“मोटर चल रही है पानी भर लो आकर”ऑन्टी जी ने कहा।
मैं जब तक वापस आया तब तक वह लड़की चली गई है। मुझे दुख हुआ लेकिन फिर भी आज की शाम मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। अब वहां का अकेलापन मुझे चुभ नही रहा बल्कि दूसरा ही फील दे रहा है।
अब मैं रेडियो की volume तेज करके खुशी-खुशी LCM-HCF हल कर रहा हूँ।हालांकि मुझे शर्मा अंकल का भी डर है।वह 7 बजे आ जाते हैं और तेज रेडियो उनका दुश्मन है। उन्हें शांति पसंद है हालांकि मुझे समझ नही आता कि वो इतनी शांति का करते क्या हैं।वह हद दर्जे तक कंजूस हैं।
सीमित परिवार और अच्छी सरकारी नौकरी होने के बावजूद वह साइकिल से ऑफिस जाते हैं।उनके पास बुलेट है जो कि महीने में वह 1-2 बार ही प्रयोग करते हैं। साइकिल से आफिस जाना उनका पेट्रोल बचाने का एक तरीका भर है क्योंकि जहां तक मैं उन्हें जानता हूँ वह कोई बहुत बड़े पर्यावरण प्रेमी या चिंतक नही हैं। उनके पास एक ब्लैक&व्हाइट TV है जो कि शायद वर्षों पहले उन्हें दहेज में मिली होगी।इसी पर उनका परिवार दो सरकारी चैनल देखकर अपना मनोरंजन करता है।कभी-कभार प्राइवेट डिश के चैनलों का सिग्नल भी मिल जाता है झिलमिलाते चित्रों में उन चैनलों को देखकर ही वह खुश हो जाते हैं।
                    अगला दिन
“निखिल भैया नीचे आओ..” सोमू ने मुझे बुलाया।वह नीचे सड़क पर बैडमिंटन खेल रहा है।मैं न्यूमेरिकल हल करते करते उकता कर नीचे सड़क की ओर देख रहा था। सोमू और रेनू मेरे मकान मालिक के बच्चे हैं।मेरे मकान मालिक शर्मा अंकल ऑर्डनेंस गन फैक्ट्री में काम जरूर करते थे लेकिन उनकी संतानें काफी देर से हुई थीं। उनकी बड़ी बेटी रेनू 10-11 साल की जबकि सोमू 7 साल का है।
यह तीन खण्ड का मकान, ढेर सारा बैंक बैलेंस,एक बुलेट और ये दो बच्चे शर्मा अंकल की 45 साल की जिंदगी की कुल जमा-पूंजी हैं। मेरा भी मन नही लग रहा इसलिए मैं नीचे आ गया हूँ। अभी तक उस जगह पर मेरी नपी-तुली दिनचर्या रही है।रूम से कोचिंग और कोचिंग से रूम।कभी-कभी शाम को टहलने भी चला जाता हूँ।
“BHAIYA हमारे साथ खेलो…”सोमू ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा है।मैं हिचक रहा हूँ। उस अनजान मुहल्ले में सबके सामने खेलना अजीब लग रहा है।मैंने कुछ देर वहां खेलने का आत्मबल बटोरा।
मैं काफी देर तक वहां खेलता रहा। अब मेरी झिझक भी कम हो रही है।मैं आशा कर रहा हूँ कि वह बालकनी में खड़ी होकर मुझे खेलते देख रही है। जब मैं रिवर्स शॉट लगा रहा था तब मैने पीछे मुड़कर देखा । एक पल को मुझे विश्वास न हुआ।वह वास्तव में बालकनी में खड़ी है। प्रेम में संभावनाओं को सत्य में बदलने की शक्ति होती है भले ही वह एकतरफा प्रेम ही क्यों न हो।
वह बालकनी में खड़ी लगभग मेरी ही उम्र के एक लड़के से हंस-हंस कर बातें कर रही है। अचानक मेरे भीतर कुछ सुलगने- सा लगा है।
 पिछले दो दिन से वह मुझे नहीं दिखी है। मैं परेशान-सा हो गया हूँ।
वह लड़का कौन है? वह उससे हंस-हंस कर बातें क्यों कर रही थी??? कहीं वह यहां से चली तो नही गयी ? मेरे मन में ऐसे ही प्रश्न बार-बार चक्कर काट रहे हैं। पिछली दो रातों से मैं ठीक से सो नही सका हूँ।
                    अगला दिन
मैं रेलिंग में खड़ा हूँ। मन में बेचैनी है। आज कोचिंग में केमिस्ट्री का टेस्ट था ।मेरा स्कोर 39/50 रहा है। मैं खुश हो सकता हूँ लेकिन न मालूम क्यों खुश नहीं हूं।मेरी नजरें बार-बार सामने की छत तक जाती हैं फिर उदास होकर वापस लौट आती हैं। मेरा मन नीचे खेलते बच्चों को देखने का भी नही कर रहा।नीचे गली में “वो मेरी नींद मेरा चैन मुझे लौटा दो…….”बज रहा है। छोटे बच्चे खेलते वक्त यही गाना गुनगुना रहे हैं।
एक दिन मैने सोमू को अपने पास बुलाया वह अपने साथ क्रिकेट खेलने की जिद कर रहा था।
“अच्छा..मैं तुम्हारे साथ खेलूंगा पहले तुम बताओ कि उस सामने वाले मकान की उन दीदी का क्या नाम है?” मैंने सामने वाले मकान की तरफ हल्का-सा इशारा कर के पूछा है।
“वो निशा दीदी हैं..”उसने कहा।
निशा…मैंने अपने मन मे दोहराया। शायद इसीलिए आजकल मैं सो नही पा रहा.. मैंने सोचा।
“अच्छा.. वह किस क्लास में पढ़ती हैं?” वैसे मैं पूछना ये चाहता था कि वह कहाँ चली गयी  हैं।
“पता नहीं BHAIYA!! शायद BSC-MSC में हैं…”जाहिर था कि उसे पता नही है।
“और उनके पापा वही हैं न जो रोज सुबह हाफ पैंट और जूते पहनकर जॉगिंग करने जाते हैं??” मैंने उन्हें आजतक सिर्फ सुबह के वक्त ही देखा था।
“हां… अंकल मिलिट्री में हैं..”
मेरे शरीर में थोड़ी सी झुरझुरी हुई। मैंने कल्पना की कि उन्होंने मुझे अपनी बेटी के साथ देख लिया है और अपने दोनों लड़कों के साथ मेरी विधिवत कुटाई कर रहे हैं।
“नही…ये नही हो सकता”
 “क्या..bhaiya???”
“कुछ नही..चलो मैच खेलते हैं” मैंने कहा और बैट उठा लिया।
#CONTINUED…….

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