फर्स्ट नाईट सुनने में ही कितना रोमेंटिक शब्द लगता है। रोमांस की अनुभूति से भरा हुआ । लेकिन सभी फर्स्ट नाईट रोमांटिक नहीं होती! यह कहानी है सुनिल नाम के नौजवान की पौने 6 फुट का हष्ट पुष्ट बन्दा। एक विवाहित पुरुष दो बच्चों का पिता। एक बार देखने में तो कोई भी धोखा खा जाता क्योंकि वह अपनी उम्र से कम ही दिखता था!

कुछ समय पहले तक उसका भी वैवाहिक जीवन अच्छे से चल रहा था। जीवन में सब कुशल मंगल था। जीवन जीने के लिए जो भी ज़रूरत होती है, वह सब वो अच्छे से पूरी कर रहा था और अपने परिवार के चेहरे पर खुशी लाने के लिए रात दिन जी तोड़ मेहनत कर रहा था।

पर कहते हैं ना खुशियों को ज़माने की नज़र लग जाती है। उसकी पत्नी सुमन के साथ उसकी आए दिन नोक झोंक होती रहती थी। लेकिन छोटी-मोटी तकरार इतना बड़ा रूप ले लेगी, ये किसी ने नहीं सोचा था! उनके बीच में मतभेद ज़रूर था पर मनभेद कभी नहीं हुआ था।

लेकिन पता नहीं क्यों पिछले कुछ सालों से सुमन का व्यवहार एकदम बदल गया था। उसे शुरू से अपनी पढ़ाई का, अपने मायके वालों के पैसे का बहुत घमंड था। उसके मायके वाले भी हर छोटी से छोटी बात में उसका ही पक्ष लेते थे। यही वज़ह थी इन दोनों के बीच इतनी बड़ी दीवार आकर खड़ी हो गई थी।
रोज-रोज के झगड़ों से और तानों से तंग आकर आख़िर सुनिल और सुमन ने अलग रहने का फैसला कर लिया। कानूनन हक से दोनों बच्चों को सुमन ने अपने पास रख लिया। सुनिल के हिस्से में आई तन्हाई!! वह अपना बसा बसाया घर छोड़कर चला गया। वो पूरी तरह से टूट गया था, बिखर गया था! लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और सोचा फिर से नए जीवन की शुरुआत की जाए।

बस यही सोच कर वह गेस्ट हाउस में पेइंग गेस्ट तरीके से रहने के लिए चला गया। सुबह में सारी फॉर्मेलिटी पूरी करने के बाद वह अपने काम पर निकल गया। लेकिन जब रात को लौटा तो उसे ऐसा लगा जैसे उसका ग्रह प्रवेश हो रहा है और आज उसकी फ़र्स्ट नाईट है।

फर्स्ट नाइट तो थी साहब, लेकिन संवेदना, ट्रैजडी और दुःख से भरी हुई। आख़िर आज पहली बार अपने बीवी बच्चों के बिना वह अकेला तन्हा रात काटने वाला था। एक ऐसी जगह पर जहाँ सभी कुँवारे लड़के थे और वह अकेला एक शादीशुदा पुरुष!!!

 

कवि : सुमित मानधना ‘गौरव’

सूरत ( गुजरात )

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