रक्षा बंधन के गीतों में भोजपुरी की खुशबू

रक्षा बंधन के गीतों में भोजपुरी की खुशबू

विदित हो कि रक्षा बंधन 19 अगस्त 2024 को पड़ने वाला है, इस अवसर पर भोजपुरी गीतों का स्वर गूंजने लगा है, और जिंदगी में खुशबू-सी आने लगी है।

एक तरफ भोजपुरी गीत की स्वर साधिका सुष्मिता का एक गीत -“सोना में सोहागवा जइसे” और वहीं दूसरा गीत -“सावन मासे ए भइया उचरेला कागवा” श्रोताओं पर अपना प्रभाव जमाने लगा है तो वहीं किरण कुमारी के गाए दो गीत प्रथम ” चम चम चमके चान सुरूजवा” और द्वितीय “सावन मासे शिव जल ढरलीं, भइया के बन्हलीं रखिया” रक्षा बंधन के पावन अवसर पर अपना मनमोहक प्रभाव अलग ही अंदाज में दिखाने लगा है।

किरण कुमारी नवोदिता गायिका हैं और उसने इसे परोसा है, जिसे सुनते ही बनता है, स्वर के क्षितिज पर उभरती गायिकाओं में काफी उत्सुकता बनी हुई है कि श्लील गीत तो लोग पसंद करेंगे ही। सुष्मिता किरण कुमारी के आसपास से जुड़ी हुई है और स्पष्ट है कि किरण औरंगाबाद जिला के महाराज गंज गांँव से आती है।

भोजपुरी का क्षेत्र काफी विस्तृत है और उसकी आवाज दूर-दूर तक जाती है। गायक गायिका जब लगनशील हो कर काम करते हैं तो निखर जाते हैं। आरंभ में संघर्ष का कार्य होता है लेकिन आगे चलकर मंजिल तक पहुंच जाते हैं।

पढ़ें लिखे लोग भी इस क्षेत्र में उतरने लगे हैं। समस्या गीत, विवाह गीत, और देवी गीत से लेकर और भी बहुत सारे गीत हैं। निर्गुण गंभीर गीत होता है, कहीं सीधा भी होता है तो कहीं द्विअर्थी भी।

अभी रक्षा बंधन का समय है इसलिए सभी गायक गायिका इसे लेकर उतर रहे हैं। बहुत लोग समसामयिक गीत गाकर श्रोताओं के बीच आ जाना और छा जाना चाहते हैं। और बहुत लोग अपने ढ़ंग से प्रभाव जमा लेते हैं।

लेकिन हांँ, श्रोता तो समसामयिक गीत तलाशते हैं। रक्षा बंधन है तो रक्षा बंधन गीत बजना ही चाहिए, क्योंकि मांगलिक दिन जो होता है, यह।

विद्या शंकर विद्यार्थी की कविताएं

विद्या शंकर विद्यार्थी
रामगढ़, झारखण्ड

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