Gam ko Chupana aa Gaya

गम को छुपाना आ गया | Gam wala Shayari

गम को छुपाना आ गया

( Gam ko chupana aa gaya ) 

 

थोड़ी हुई मुश्किल मगर ग़म को छुपाना आ गया
रुख़ पे नया रुख़ आजकल हमको लगाना आ गया।

उनको नहीं परवाह कुछ ये जानते हैं हम मगर
अब लातअल्लुक हम भी हैं उनसे जताना आ गया।

जिनको नहीं इल्मो अदब मालूम है कुछ भी यहां
वो टोकते हर बात पर उनको सिखाना आ गया।

दिल की लगी महंगी पड़ी लेकिन चलो इतना हुआ
रो कर हमें दिल को तसल्ली तो दिलाना आ गया।

है कौन अब अपना यहां किस पर यकीं हो आजकल
यह सोचकर हर एक को अब आजमाना आ गया।

इस दौर में हर एक रिश्ता खास है यह जानकर
सौ ज़ख़्म खा कर भी हमें सबसे निभाना आ गया।

चाहे गिराले लाख दुनिया अब नयन को फख़्र से
जालिम जहां में जीतकर सर को उठाना आ गया।

 

सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया  ( उत्तर प्रदेश )

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