
एक नगमा प्यार का
( Ek nagma pyar ka )
आ गए तो रस्म़ महफ़िल की निभाते जाइए
एक नग़मा प्यार का सबको सुनाते जाइए।
कौन है क्या कह रहा अब फ़िक्र इसकी छोड़िए
मुस्कुराकर दिल रक़ीबों का जलाते जाइए।
दो जहां को छोड़ दें हम आपकी ख़ातिर सनम
है फ़क़त ये शर्त की अपना बनाते जाइए।
इश्क़ मे़ दिल ही नहीं हाज़िर हमारी जान भी
गर नहीं आता यकीं तो आजमाते जाइए ।
देखिए ना ज़ख्म अब सारे पुराने हो चले
तंज का इक तीर फ़िर दिल पर चलाते जाइए।
तरबियत हो बेटियों की ठीक से इस दौर में
बन सकें फ़ौलाद बस इतना सिखाते जाइए।
बोलने से सच यहां सर भी कलम होते नयन
जान प्यारी है अगर तो सर झुकाते जाइए।