
गणपति वंदना
( Ganpati vandana )
नमन करु और वन्दन करु,
हे गौरी पुत्र गणपति गजराज।
बस नाम तुम्हारा लेने से ही,
होता है समस्त विघ्नों का नाश ।।
प्रभु तुम्हारे नाम है अनेंक,
सभी देवताओं में सबसे श्रेष्ठ।
कष्ट विनायक मंगल फल दायक,
और हो गुरुजनों में भी तुम श्रेष्ठ।।
रिद्धि-सिद्धि के आप है दाता,
मूसे की सवारी शान से करता।
जब-जब लिया हमने तेरा नाम,
बना है बिगड़ा हुआ सारा काम ।।
सर्व प्रथम तुम्हें याद करें हम,
लड़़वन का भोग चढ़ाते है हम।
तुम्हारी माया का पाया नहीं पार,
बल-बुद्धि है आपके पास अपार।।
शिव पुत्र नमह: गोरी पुत्र नमहः,
गजानंद नमहः गणेशाय नमह:।
गणपते नमह: मंगल मूर्ति मोर्या,
बोलो मंगलाधिपति बाप्पा मोर्या।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )
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