
कविता गऊ
gau mata par kavita
चीतो के आने से
होता अगर विकास ll
गायो के मरने पर
उड़ता नही परिहास ll
पूजते थे गाय को
भूल गए इतिहास ll
गोशाला मे ही अब
भक्ष रहे गोमांस ll
महंगाई के कारण
मिलत नही है दानll
भूखी गाय घूमती
द्वारे द्वारे छान् ll
रोटी देने वाले
खीच रहे है हाथ ll
दिखत नही उल्लास है
देने उनका साथ ll
बेकद्री गाय की हुई
होता है आभास ll
दिया दूध जब तक ही
रखते अपने पास ll
रही नहीं काम कि
देत नही है घास ll
आवारा छोडा उसे
खुले गगन आकाश ll
गोपाल फिर आइये
रक्षा करने आप ll
प्रीति बड़े ऐसी अब
मिट जाये संताप ll