गौतम बुद्ध

( Gautam Buddha ) 

( 2 )

 

वैशाख मास बुद्ध पूर्णिमा,

लिया  बुद्ध अवतार।

श्रीहरि के नवम् अवतार रूप में,

प्रगटे बुद्ध भगवान।।

दुख- दर्द, जरा अवस्था,

 देखी न जाती थी।

अर्थी  देखी जब बालक ने,

नाना प्रश्न मन उपजे  थे।।

उत्तर समाधान कारक,

नहीं मिल पाया बालक को।

 झंझावात विचारों के उमड़ते रहते।

 बेचैनी बढ़ाते नित्य मन में।

दे बालक की व्याकुलता,

पिता शुद्धोधन चिंतामय  रहते ।

विवाह कराया यशोधरा से।

सोचा पिता ने, संभल जाएगा सिद्धार्थ।।

कुछ वर्ष  गृहस्थी में बिताए।

पुत्र रत्न पाया सिद्धार्थ ने।

पर मन विचलित हो,  भटक रहा था।

शांति न मिलती थी मन को।।

एक रात चुपके से,

 पुत्र पत्नी को सोता छोड़,

वन गमन किया सिद्धार्थ ने।

वन -वन भटकते रहे, की घोर तपस्या।

पर “सत्य ” न मिल पाया अभी।

पुनः बोधि वृक्ष तले,

तप भारी किया सिद्धार्थ ने।

खुल गए ज्ञान चक्षु।

बोध “सत्य” का हुआ ।।

लौट आए  सिद्धार्थ ।

प्राप्त ज्ञान जन- जन तक पहुॅंचाने।

दी प्रेरणा अहिंसा पथ चलने की।

अपनाओ सत्य,अहिंसा, करुणा, दया भाव,

आत्मोन्नति का यही मार्ग है।।

अपना कर बौद्ध धर्म,

जो आया बुद्ध शरण में।

विवेक जाग गया उन सबका।

फिर न लौटा सांसारिक माया में।।

शिक्षा गौतम बुद्ध की,

करती  जनकल्याण ।

करोड़ों  शिष्य हैं बुद्ध के,

फैले सकल जहांन।।

बुद्धम् शरणम् गच्छामि।।

चंद्रकला भरतिया
नागपुर महाराष्ट्र.

( 1 )

मानव के कल्याण हेतु
राजमहल को छोड़ा जिसने
वह थे गौतम बुद्ध
अंधविश्वास को दूर भगाया
वह थे गौतम बुद्ध
लोगों में विज्ञान की ज्योति जलाई
वह थे गौतम बुद्ध
समाज में समानता का पाठ पढ़ाया
वह थे गौतम बुद्ध
समाज से छुआछूत को दूर भगाया
वह थे गौतम बुद्ध
औरतों को समानता का अधिकार दिलाया
वह थे गौतम बुद्ध
दलितों और निर्धनों को
गले लगाया
वह थे गौतम बुद्ध
पक्षियों और जानवरों के लिए
दया दिखाई
वह थे गौतम बुद्ध
अहिंसा का पाठ पढ़ाया
वह थे गौतम बुद्ध
गणिकाओं को मानव समझा
वह थे गौतम बुद्ध
युद्धों से नफरत करना सिखाया
वह थे गौतम बुद्ध
संसार के सभी मानवों को
एक बताया
वह थे गौतम बुद्ध
संसार भर में बौद्ध धर्म फैलाया
वह थे गौतम बुद्ध
बुद्धम शरणम गच्छामि
धम्मम शरणम गच्छामि
मंत्र बताया
वह थे गौतम बुद्ध

 

© रूपनारायण सोनकर
प्रख्यात साहित्यकार/सूअरदान के लेखक

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