
गया ये साल मुश्किल से हज़ारों ग़म हमें देकर
गयाये साल मुश्किल से हज़ारों ग़म हमें देकर।
हमारी छीन के खुशियां ये आंखें नम हमें देकर।।
न कोई मुल्क बच पाया कहर ढाया करोना ने।
जमीं पर हर तरफ मातम पसारा यम हमें देकर।।
भटकते फिर रहें देखो जहां के लोग सारे ही।
उजाले साथ लेकर के गया है तम हमें देकर।।
डरे सब साथ रहने से भरोसा उठ गया जग से।
रहे दूरी बनाकर सब ज्यूं मानव- बम हमें देकर।।
तङपता छौङ के हम को गया बेदर्द ये यारो।
बना नासूर जख्मों को बिना मरहम हमें देकर।।
‘कुमार’सुख चैन लेकर के दिया आराम कुछ बेशक।
बहुत कुछ ले गया हमसे बहुत ही कम हमें देकर।।
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कवि व शायर:
मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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