ऐसा न हो कि सारे आसार टूट जाए | Geet Aisa Na Ho
ऐसा न हो कि सारे आसार टूट जाए
ऐसा न हो कि सारे आसार टूट जाए
जो हिस्से में मिली है, दीवार छूट जाए।
हम नहीं कहते हैं कि तुम साथ रहो मेरे
ऐसा न हो नदी का किनार छूट जाए।
लोग तो बहुत मिलेंगे तुझे समझाने वाले
ऐसा न हो हँसने का आधार छूट जाए।
पंछी भी रहते हैं अपनी टोली में मिले
ऐसा न हो कि अपना किरदार छूट जाए।
मेरे गीत अच्छे लगे तो तुम गा लेना उन्हें
ऐसा न हो तुमसे कलमकार छूट जाए।
विद्या शंकर विद्यार्थी
रामगढ़, झारखण्ड