![Geet chale aao mere gaon mein Geet chale aao mere gaon mein](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2022/05/Geet-chale-aao-mere-gaon-mein-696x391.jpg)
चले आओ मेरे गांव में
( chale aao mere gaon mein )
ठंडी ठंडी मस्त बहारे मदमस्त बहती मेरे गांव में
चौपालों पर लोग मिलते बरगद की ठंडी छांव में
चले आओ मेरे गांव में
सुख दुख के हाल पूछे मिल दुख दर्द सब बांटते
मिलजुल कर खेती करते मिलकर फसल काटते
सद्भावों की बहती धारा उर प्रेम उमड़ता भाव में
खलिहानों में झूम के नाचे मतवाले मेरे गांव में
चले आओ मेरे गांव में
हरियाली से लदी धरा हरे भरे लहलहाते खलिहान
पगडंडी से टोली निकले हल जोतता मिले किसान
भोला भाला जनजीवन अल्हड़पन मिलता गांव में
गांव की वो पाठशाला बालक पढ़ते ठंडी छांव में
चले आओ मेरे गांव में
सादगी भरा प्यारा जीवन मीठे मिलते बोल यहां
मेहमां भगवान मानते निपजे मोती अनमोल जहां
प्रेम से हिल मिलकर गुजारा कर लेते ठांव में
ढोल नगाड़े बंशी बाजे खुशियां बरसती गांव में
चले आओ मेरे गांव में
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )