
कवि की दुनिया न्यारी है
( Kavi ki duniya nyari hai : Hindi geet )
जोश जगा दे भरी सभा में,
लोटपोट दरबारी है।
काव्य कलश से गंगा बहती,
कवि की दुनिया न्यारी है।
लेखनी की ज्योत जगाकर,
आलोक हृदय भरता है।
शब्द मोती मनमोहक चुनकर,
काव्य उड़ाने भरता है।
ओज भरी वाणी मंचों पर,
गूंजती कलमकारी है।
लेखनी का खेल निराला,
कवि की दुनिया न्यारी है।
फूलों सी महफिल सजती है,
गीतों की लड़ियां गाता।
भावन छंद सजीली कविता,
काव्य सृजन सबको भाता।
उठा लेखनी दुर्गम पथ पर,
दिव्य प्रभा चिंगारी है।
कलमकार मोहक सृजन हो,
कवि की दुनिया न्यारी है।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )