Geet priyatam
Geet priyatam

प्रियतम

( Priyatam : Geet )

 

आशाओं के दीप तुम ही हो तुम ही नैनो का करार
दिल में बसने वाले प्रियतम प्रिय लगे तुम्हारा प्यार

 

हो मधुर मुस्कान लबों की मेरे दिल की धड़कन हो
खुशबू हो महकी बगिया की लगे सुहाना मौसम हो

 

नेह की बहती सरिता प्यार का उमड़ता सागर हो
मन मंदिर में जोत प्रेम की भाव भरी इक गागर हो

 

सब कुछ सुना सुना लगता कैसे आए चैन मुझे
नैन बिछाए कब से बैठे मत करना बेचैन मुझे

 

प्रियतम तेरे नाजो नखरे लगे हर अदा मनभावन है
बजती जब पांवों की पायल लगे बरसता सावन है

 

उमंगे हिलोरे लेती याद तेरी जब आती मुझको
दिल ही दिल में बातें होती चैन दे जाती मुझको

 

प्रियतम प्रीत भरी बातें नित नए तराने गाती है
नेह की डोर में प्यार भरा गीत लबों पर लाती है

 

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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