Geet Na Chitthi na Sandesh
Geet Na Chitthi na Sandesh

ना चिट्ठी ना संदेश कोई पिया चले गए परदेस

( Na chitthi na sandesh koi piya chale pardesh ) 

ना चिट्ठी ना संदेश कोई सनम चले गए परदेस कोई।
विरहा सी अगन लगी मन में तृष्णा न बची शेष कोई।
ना चिट्ठी ना संदेश कोई

पैगाम प्यार का दे हमको सुध बुध हमारी ले जाओ।
प्रियतम प्रेम की फुहारे घने मेघ घुमड़ के तुम आओ।
दिल की धड़कने आतुर हम संगीत सुनें विशेष कोई।
ये प्रेम प्यार के झगड़े हैं इन पे चलता ना केस कोई।
ना चिट्ठी ना संदेश कोई

खुशियों के मेघदूत आओ नयन झील उतर जाओ।
दरवाजे दिल के खोल दिए हृदय में आ बस जाओ।
तुम भंवरे बन मंडराओ खिल जाये कलियां केश कोई।
मदमाती सरिताएं आतुर हो पिया मिलन जलेश कोई।
ना चिट्ठी ना संदेश कोई

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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