Ghazal e ishq

फूल सा इक शख़्स मुझको चाहता है | Ghazal-e-ishq

फूल सा इक शख़्स मुझको चाहता है

( Phool sa ik shakhs mujhko chahta hai )

 

 

फूल सा इक शख़्स मुझको चाहता है
पर किसी पत्थर से मेरा दिल लगा है

 

हिज्र उसका मुझको दीमक की तरह से
दिन ब दिन अन्दर ही अन्दर खा रहा है

 

हो गया है मुझमें अब पेवस्त कोई
मेरे अन्दर से मेरा सब खो गया है

 

जिसका मिलना मेरी किस्मत में नहीं है
रात दिन ये दिल उसी को सोचता है

 

तुम जिसे माज़ी समझ कर भूल बैठे
आज भी वो शख्स तुम को चाहता है

 

कैसे भूला है मुझे तू ये बता दें
मुझको भी तेरी तरह ही भूलना है

❣️

शायर: अतीक़ अहमद कुशीनगरी

कुशीनगर  ( उत्तर प्रदेश)

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