आ रहा है एक चेहरा ख़्वाब में | Ghazal ek chehra khwab mein
आ रहा है एक चेहरा ख़्वाब में
( Aa raha hai ek chehra khwab mein )
आ रहा है एक चेहरा ख़्वाब में
चैन लूटे वो हमारा ख़्वाब में
वो हक़ीक़त में कभी मिलता नहीं
होता है दीदार उसका ख़्वाब में
हम सफ़र मेरा बना दे उम्रभर
जो खुदा चेहरा दिखाया ख़्वाब में
अब हक़ीक़त में मिला उससे मुझे
रोज जिसको है रब देखा ख़्वाब में
वो हंसी मिलता हक़ीक़त में नहीं
वो हंसी जो रोज़ आता ख़्वाब में
जो नहीं तक़दीर में आज़म लिखी
उस हंसी का रोज़ पहरा ख़्वाब में