ख़ुशी से बहुत बदनसीब हूँ | Badnaseeb Shayari
ख़ुशी से बहुत बदनसीब हूँ
( Khushi se bahut badnaseeb hoon )
ख़ुशी से बहुत बदनसीब हूँ
बड़ा जिंदगी में ग़रीब हूँ
वफ़ा पर तू मेरी यकीन कर
तेरा एक सच्चा हबीब हूँ
भला चाहता हूँ सदा तेरा
नहीं दोस्त कोई रकीब हूँ
वही दिल दुखा अब रहा मेरा
यहाँ मैं जिसे ही क़रीब हूँ
करे टूटे दिल का इलाज जो
यहाँ ढूंढ़ता मैं तबीब हूँ
मुझे ख़ूब अफ़सोस यूं होता
बातें कर रहा कुछ अजीब है
मिला सुख यहाँ कब मगर आज़म
यहाँ बिगड़ा अपना नसीब है