किसी से यहाँ हम वफ़ा कर चले | Ghazal wafa kar chale
किसी से यहाँ हम वफ़ा कर चले
( Kisi se yahan hum wafa kar chale )
किसी से यहाँ हम वफ़ा कर चले
वफ़ा प्यार की हम सदा कर चले
चले फ़ासिली फेरकर रोज़ मुंह
वही कल निगाहें मिला कर चले
छुड़ाकर मगर हाथ मुझसे वही
मुझे आज वो ही रुला कर चले
कभी प्यार से वो गले कब लगे
वही ख़ूब मुझको सता कर चले
दिया कब मुझे फूल है प्यार का
बहुत प्यार में वो जफ़ा कर चले
मिली है दग़ा हर क़दम पर मुझे
वफ़ा प्यार रिश्ता निभा कर चले
नहीं बात माना अड़ा जिद पर है
उसे ख़ूब “आज़म” मना कर चले