
आओ जलाएं नफरत की होली
( Aao jalaye nafrat ki holi )
सद्भावों की लेकर बहारें, रंगों की हो फुहार।
भाई भाई में प्रेम सलोना, बरसे मधुर बयार।
आओ जलाए नफरत की होली, मनाये त्योहार।
खुशियों के हम रंग बिखेरे, उमड़े दिलों में प्यार।
हंसी खुशी सबको बांटे, गीत सुहाने गाये।
रूठ गए जो हमसे, हम जाकर उन्हें मनाएं।
अपनापन अनमोल प्यारा, नेह की बहाये धारा।
आओ जलाएं नफरत की होली, बांटे प्रेम प्यारा।
हिलमिल सारे रंग खेले, झूमे मस्ती में गाये।
मुरली की धुन पे रसिया, चंग धमाल बजाये।
होली होली का करें हुड़दंग, खुलकर शोर मचाए।
आओ जलाएं नफरत की होली, प्रेम रस बरसाए।
प्रेम तराने मीठे मीठे, गीतों की मधुर रसधार।
इक दूजे को रंग लगा, मिलकर मनाएं त्यौहार।
मुस्कानों के मोती दमके, लबों पे झलके विश्वास।
आओ जलाएं नफरत की होली, मनाये मधुमास।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )