Gol-gappe
Gol-gappe

यह गोल-गप्पे

( Yah gol-gappe ) 

 

गोलगप्पे का नाम सुनकर ये मुॅंह में पानी आ जाता,

चाहें राजा हो या रंक मन की कलियां खिल जाता।

गली-मौहल्ले चौराहों पर ये आसानी से मिल जाता,

अगर घर में कोई लाए तो पटरानी ख़ुश हो जाता।।

 

आटा और मैदा से इसके लिए पूरियां बनाया जाता,

लेकिन दुकान वालों जैसा स्वादिष्ट पानी ना बनता।

ठंडा गर्म कुरकुरा मिश्रण मसालेदार मीठा व तीखा,

अनेंक-स्वादों में इसका पानी हम सबको मिलता।।

 

गोलगप्पे पानी-बताशे पुच्के पानी-पूरी जिसे कहते,

शादी-समारोह में जिसकी स्टाॅल आजकल लगातें।

बड़े ही चाव से खाते है जिनको जवान-बुड्ढे व बच्चें,

ठेले पर सीसे के केबिन में इनको सजाकर रखतें।।

 

इसका जूस बनाने के लिए यह सामग्री काम आता,

अदरक हरी-मिर्च हरा-धनिया इमली चाट मसाला।

काली मिर्च नींबू व पानी नमन स्वादानुसार मिलता,

अमचूर-पाउडर पुदिना एवं गोलगप्पे का मसाला।।

 

बताया जाता है इसका आविष्कार द्रोपदी ने किया,

जिसे माता-कुन्ती की चुनौती के ज़वाब में बनाया।

चटकारा लगाकर सब‌ने जिसका बड़ा लुप्त उठाया,

गोल-गप्पे पर आज कविता गणपतलाल बनाया।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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