हमेशा ही मुहब्बत से वो सारे काम लेते है
हमेशा ही मुहब्बत से वो सारे काम लेते है
हमेशा ही मुहब्बत से वो सारे काम लेते है।
मिटाने को सभी झगड़े वो सर इल्ज़ाम लेते है।।
रहे न्यारे ज़माने से खुदा ही आसरा अपना।
सहारे छौङ के सारे उसी का नाम लेते है।।
सदा मस्ती चढी रहती उसी की याद में दिल पे।
वही प्याला वही मदिरा उसी से जाम लेते है।।
बहुत देखे हँसी चहरे नहीं देखा कभी ऐसा।
झलक जो देख ले उनकी दिलों को थाम लेते है।।
खुशी मिलती सदा उसको जो बाँटे हर जगह खुशियां।
दुआ सबकी जहां में वो सुबह और शाम लेते है।।
जो बो दोगे वही मिलता यही दस्तूर दुनिया का।
उगाते नीम जो अक्सर कहो कब आम लेते है।।
मिले कोई अगर हमसे “कुमार” तहज़ीब से यारो।
बिना ही मोल बिक जाते न कोई दाम लेते है।।
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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)
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