हताश जिन्दगी

( Hataash zindagi ) 

देखा है हमने अक्सर हताश जिन्दगी।
हमने भी नही पाई कुछ ख़ास जिन्दगी।।

बे-मौत मर रहे हैं हजारों यहाॅं वहाॅं,
क्यूॅं आती नही है फिर भी,ये रास जिन्दगी,

आकर कोई बताये,ये कैसा फ़लसफ़ा है,
दिखती है कभी दूर कभी पास जिन्दगी।

ऊपर ख़ुदा है रोशन,मैं झूठ न कहूॅं,
जम्मे-ग़फ़ीर में भी,बदहवास जिन्दगी।

 

रोशन सोनकर
ग्राम व पोस्ट जोनिहां,तहसील बिंदकी,

जनपद फतेहपुर ( उत्तर प्रदेश )

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