हे परम प्रिय मन रूप अंतरात्मा!
हे परम प्रिय मन रूप अंतरात्मा!
कोटि-कोटि नमन
आप एक ईश्वर द्वारा विभूषित अति उत्तम,महत्वपूर्ण देन है। आप की महिमा अपरंपार है। हवा से भी तेज गति है,आपने जीवन के लिए सैनिक का काम,चारों दिशाओं में मन रूप नजर दौड़ती, सूचना लाती।जीवन के हर एक प्रश्नों का उत्तर,मानो एक प्रश्न उत्तरी हैं।
आप हो अति सूक्ष्म लेकिन कितने छवि विराजमान वहां।कितने यादें निहित है,आपके अंदर। वर्णन शुरू करें तो पूरा धरती पर नहीं आएगी।क्योंकि मन दुनिया में ब्रह्मांड,ईश्वर सभी विराजमान है। हे मन की दुनिया आप कोई छोटी-मोटी साधारण दुनिया नहीं, एक विशाल दुनिया इसमें निहित है।
एकांत,शांत मस्तिष्क से झांकने पर पता,कितनी तरह की बातें यादें इसमें निहित है। जीवन के हर पहलुओं का हिसाब-किताब है, इस दुनिया में ही। जब हम किंकर्तव्यविमूढ़ हर प्रश्नों का हल इसी दुनिया में ढूंढती। जीवन में कोई संकट तो याद शांत दिमाग से तुरंत निराकरण कर देती ।मन मेरे कितनी प्यारी दोस्त हैं आप, हमारे लिए वर्णन करना मुश्किल है। कहा भी गया है,
“मन से बड़ा न कोई,मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।”
इसलिए हे मेरे परम प्रिय मन सदैव अच्छे सुंदर विचार सोच जो अपने के साथ-साथ दूसरों के लिए भी कल्याणकारी और कारगर सिद्ध हो। सदैव सकारात्मक सोच,सकारात्मक की प्राप्ति होगी। होठों में रहेगी मुस्कान, चेहरा रहेगा खिला-खिला औरों को भी मिलेगी, सुख,शांति,चैन,मुस्कुराहट।
हे मेरे मन तुझे तो पता है,जीवन क्षणभंगुर है।जैसे आए हैं वैसे जाना है।तो कृपा करके अपने अंदर से सुविचार ही प्रकट करें। यही हम आपसे करबद्ध प्रार्थना करते हैं बारंबार।जीवन के हर गलत कर्म से रोके हमें।
मेरे मन यदि कोई प्रिय वस्तु जो यहीं से प्राप्त खो जाए,तो भी ज्यादा दु:ख रूप गम सागर में कृपा कर न डूबा हमें।मेरे मन,इस शोक से तन,मस्तिष्क साथ आप भी प्रभावित होंगे। इससे हमारी स्वास्थ्य बिगड़ सकती।स्वास्थ्य ही हमारे जीवन की अमूल्य धन है स्वास्थ उत्तम तो पुन:सब कुछ प्राप्त कर लेंगे।
जीवन में सुंदर विचार से सुशोभित के लिए मन आपको कोटि-कोटि नमन। यहां निवास ईश्वर सहित मेरे शकल परिवार के बड़े जन को भी नमन।छोटे को बहुत-बहुत शुभ आशीष और सुमधुर प्यार।
भानुप्रिया देवी
बाबा बैजनाथ धाम देवघर