हिमायत में आ गये
हिमायत में आ गये
सारे अज़ीज़ उनकी हिमायत में आ गये
मजबूर होके हम भी सियासत में आ गये
हाँलाकि ख़ौफ़ सबको सितमगर का था बहुत
कुछ लोग फिर भी मेरी वकालत में आ गये
इतने हसीन जाल बिछाये थे आपने
हम ख़ुद शिकार होके हिरासत में आ गये
सोचा नहीं नशे में हुकूमत के आपने
अहबाब इतने कैसे बग़ावत में आ गये
हम तो इसी गुमान में लुटते रहे कि वो
आवारगी को छोड़ शराफ़त में आ गये
इतना फ़रेब उसकी निगाहों में था छुपा
उस पर यक़ीन कर के मुसीबत में आ गये
शीशे में हमने उनको उतारा ही इस तरह
इनकार करते करते मुहब्बत में आ गये
साग़र हमारे बारे में क्या उड़ गई ख़बर
सुनते ही जिसको आज वो हैबत में आ गये
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
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