वो चिट्ठी पत्री वाला प्यार
वो चिट्ठी पत्री वाला प्यार

वो चिट्ठी पत्री वाला प्यार

( Wo chitthi patri wala pyaar : Geet )

 

 

याद बहुत आता है वह जमाना वह संसार
पलकों की बेचैनी वह चिट्ठी पथरी वाला प्यार

 

दो आखर पढ़ने को जाते महीनों गुजर
चिट्ठी मिलती ऐसे जैसे जीवन गया सुधर

 

कागज के संदेशों में हम फूले नहीं समाते
देख देख कर चिट्ठी को मन ही मन बतियाते

 

शब्द शब्द हर्षित कर जाते उमड़ता प्रेम अपार
दिल से दिल का रिश्ता वह चिट्ठी पत्री वाला प्यार

 

रोज निगाहें लगा देखना तक टक राहें निहारे
कभी अचानक हंस जाना कभी बाल संवारे

 

मन को बहुत लुभाता वह सुंदर सजीला संसार
याद बहुत आता है हमको चिट्ठी पत्री वाला प्यार

 

मोबाइल अब हो गया साधन सुगम बेतार
टूट रहे रिश्ते नाते आपस में रहा ना प्यार

 

फेसबुक और व्हाट्सएप पर बस चैटिंग ही चलती
अपने मतलब की सारी अब केवल सेटिंग चलती

 

दुनिया भर की सैर करे पड़ोसी को ना जाने
व्यस्त रहे मोबाइल में कैसे है ये अफसाने

 

मधुर मनोहर मनमोहक वह यादों का संसार
याद बहुत आता है वह चिट्ठी पत्री वाला प्यार

 

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कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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