लम्हा लम्हा बिखरता सा मैं
लम्हा लम्हा बिखरता सा मैं

लम्हा लम्हा बिखरता सा मैं

( Lamha lamha bikharta sa main )

 

 

दिन के उजालों में हर सवाल पर
लम्हा लम्हा बिखरता सा मैं

 

रात तेरी आगोश में सिमट कर
पुर्जा पुर्जा समेटता सा मैं

 

महबूब सी लगे है , ए रात ,कभी तू मुझे
 पहलू में सर रख  तेरे ,पुरसुकून सोता सा मैं..

 

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Suneet Sood Grover

लेखिका :- Suneet Sood Grover

अमृतसर ( पंजाब )

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