शेर की चार लाइनें | Hindi poems
शेर की चार लाइनें
1
मोहब्बत में मिलावट, थोड़ी सी कर ली है कुछ ऐसे।
नमक का स्वाद लेकर के, मिठाई बन गयी जैसे।
थोड़ा खट्टा है थोड़ा चटपटा सा, लग रहा है ऐसे,
कि मानो चाय के कुल्लढ मे काफी, पी लिया जैसे।
2
शुरू करने से पहले सारी बातें साफ कर दो।
मोहब्बत है जो हमसे आज हर जज्बात कह दो।
करो शिकवा गिला सारे मगर ये याद रखना,
ये बन्धन प्रेम का टूटेगा ना अब हुंकार कह दो।
3
हमें क्यों छोड़ दिया मधुवन में प्यासा प्रियतम् प्यारे।
लिया वैराग्य जटा को धार चले शिवधाम शिवाले।
नही अनुराग रहा मुझमें तो,फिर क्यों ब्याह किया था,
किया जो ब्याह तो फिर क्यों, छोड़ दिया रे।
4
जिन्दगी कम ना कभी ज्यादा होगी।
समय आने पर खुद ही पूरी होगी।
मिटा दो शोक विलाप ये चिन्ता अपनी,
अधुरी किसी की नही सबकी पूरी होगी।
5
शोक विलाप ये तेरा मेरा, अपना और पराया हैं।
ज्ञानी मर गये ज्ञान बाँटते,फिर भी दुख का साया है।
पूर्वजन्म जो सच होता, संताप तुम्हे फिर करना हैं,
यही मिलेगा तुम्हे वो सब, जो बोया है वो पाया है।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )