हो रही फूलों से आशिक़ी ख़ूब है

हो रही फूलों से आशिक़ी ख़ूब है

हो रही फूलों से आशिक़ी ख़ूब है

 

हो रही फूलों से आशिक़ी ख़ूब है!

बरसी मुझपे ही जब शबनमी ख़ूब है

 

हो सकता जो नहीं हम सफर मेरा ही

उसकी ही आरजू पल रही ख़ूब है

 

प्यार की बातें आगे नहीं है बढ़ी

उससे आंखों से आंखें मिली ख़ूब है

 

लेकिन छोड़ी नहीं दिल से नाराज़गी

लिख डाली उसको ही शायरी ख़ूब है

 

वो हक़ीक़त में आता नहीं मिलनें को

ख़्वाब में उससे बातें करी ख़ूब है

 

कर गया है सदा के लिए  ग़ैर वो

प्यार की बातें की जो कभी ख़ूब है

 

दिल करे देखता मैं रहूँ उसको ही

वो आज़म यारों इतना हंसी ख़ूब है

 

 

✏

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

यह भी पढ़ें : 

ढूंढ़ता क्या है तू दिल के पत्थरों में

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *