होकर उल्लू पर सवार
होकर उल्लू पर सवार
होकर उल्लू पर सवार ,
चली लक्ष्मी हर घर-द्वार।
यश, धन की करने बरसात,
अनिल मंद स्वर गाए मल्हार ।
सोने का रथ,रजत पालकी,
रथ पर हुए कुबेर सवार ।
ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि प्रदाता ,
संग गणेश हैं , दीप आधार।
मन भावन प्रिय लगे सुरुचिकर,
दीपावली, धनतेरस त्यौहार।
जीवन में शुभ-लाभ है छाया ,
दीप जले करता उजियार।
खुशी अपार भरे जीवन में,
करें बड़ों का नित मनुहार।
धन की सदा रहे बरसात,
दूर दुर्व्यसन से व्यवहार।
माता घर में करें निवास,
खुशी भरे दिवाली बारम्बार।
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई
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