आ गया रंगों का त्योहार | Holi Faag Geet
आ गया रंगों का त्योहार
( Aa gaya rango ka tyohar )
बना है मौसम ये गुलजार,
आ गया रंगों का त्योहार।
घर से निकल पड़े नर नार ,
आओ खेलेंगे होरी।।
मस्त महीना फागुन आया,
तन भीगा ये मन हरषाया।
हो रही रंगों की बौछार,
मारते पिचकारी की धार।
टोली भाग रही घर द्वार,
बांधते प्यार की डोरी।।
बना है मौसम ये गुलजार,
आ गया रंगों का त्योहार,
घर से निकल पड़े नर नार,
आओ खेलेंगे होरी।।
फाग राग सबके मन भाए,
चंग बजे तो मन हरषाए।
सजा है सुंदर स्वर का तार,
मीठे बोलो की भरमार ।
मिलकर गायें ये मल्हार,
तिरछे नैनो से गोरी।।
बना है मौसम ये गुलजार,
आ गया रंगों का त्योहार।
घर से निकल पड़े नर नार,
आवो खेलेंगे होरी।।
वैरभाव सब चले भुलाकर,
इक दूजे को गले लगाकर।
कभी तो होंगे नयना चार,
दिल है मिलने को बेकरार।
ऐसे करती सोच विचार,
वो बरसाने की छोरी।।
बना है मौसम ये गुलजार
आ गया रंगों का त्योंहार
घर से निकल पड़े नर नार,
आओ खेलेंगे होरी।।
प्रीति प्रणय के भाव जगाकर,
राग द्वेष को दूर भगाकर।
कब से खड़ी करे इंतजार,
मिलालो दिल से दिल का तार।
दर्शन देना कृष्ण मुरार ,
‘जांगिड़’ पुस्तक है कोरी।।
बना है मौसम ये गुलजार,
आ गया रंगों का त्योहार।
घर से निकल पड़े नर नार,
आओ खेलेंगे होरी।।
कवि : सुरेश कुमार जांगिड़
नवलगढ़, जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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