
बांसुरी
( Bansuri )
चक्र सुदर्शन धारी केशव, लीला अपरंपार तेरी।
मंझधार में डूबी नैया, आकर करना पार मेरी।
बजे मुरलिया तेरी
मुरली मोहन माधव तेरी, मधुर मनोहर शान है।
सकल चराचर रक्षक, जन करते गुणगान है।
संकट मोचन मोहिनी मूरत, मत ना करना देरी।
कृष्ण कन्हैया दीन दयाला, मधुर बांसुरी तेरी।
बजे मुरलिया तेरी
आठो याम आनंद बरसे, गोविंद गोविंद गाते ग्वाले।
त्रिलोकी के नाथ हमारे, मधुसूदन नटखट मतवाले।
द्वारका का नाथ सांवरा, सुध बुध रखना मेरी।
यमुना तट पर मुरली की, मधुर बाजे बंसी तेरी।
महक उठे फुलवारी सारी, खिले चमन जब सारा।
प्रेम सुधारस उर उमड़ता, बहती भावों की धारा।
वृंदावन गोकुल घनश्याम, गूंजे मुरलिया तेरी।
यशोदा राज दुलारे माधव, शरण पड़ा मैं तेरी।
बजे मुरलिया तेरी
मुरली की जब तान छेड़े, तो गोपियां दौड़ी आए।
रंग बरसे वृंदावन में, मोहन सबके मन को भाए।
मुरलीधर मुरली सोहे सुंदर, अधर तान बहु तेरी।
सारे जग के करतार सुनो, भक्त वत्सल सुनो मेरी।
बजे मुरलिया तेरी
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
यह भी पढ़ें :-