Holi par Kavita in Hindi
Holi par Kavita in Hindi

रंगो का त्यौहार

( Rango ka tyohar ) 

 

लो आया फिर रंगो का त्यौहार,
गीत खुशी के सब गावो मल्हार।
पक्के रंगों से होली नहीं खेलना,
गुलाल लगाकर मनाना त्यौहार।।

अब ना रहा पहले जैसा हुड़-दंग,
हंसी और मजाक सहने का दम।
अब नहीं बजाते कोई ढोल चंग,
लगे है सब इन मोबाइलों मे हम।।

अब नहीं है पहले जैसा स्वभाव,
उमंग व रंग लगाने का व्यवहार।
नहीं आते परदेशी भी अपने घर,
ये रिश्ते भूल रहे अपने परिवार।।

दिल की कड़वाहट मिटालो सब,
इन्सानियत का पाठ पढ़लो अब।
गिले-शिकवे भूल कर गले लगो,
अभद्रता से होली खेलो ना अब।।

फाल्गुन मास में आता यह पर्व,
जीवन शिक्षा का रंग भरो अब।
अनेकता में एकता दर्शाता पर्व,
भाई चारा संदेश पहुँचाओं सब।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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