लाल रंग | Laal Rang par Kavita
लाल रंग
( Laal rang )
लाल रंग रक्त वर्ण होता वीरों की वीरता दर्शाता है
धन वैभव सम्मान दिलाता लक्ष्मीजी को भाता है
स्वाभिमान भाव दमके शौर्य पराक्रम रणवीरो का
लाल रंग साहस सूचक लाल ध्वजा धरें वीरों का
सौभाग्य सिंदूर से बढ़ता लाली बन मुस्काता है
रामभक्त हनुमान भाए तन पर सिंदूर लुभाता है
गजानंद गणेश से लगाए सिद्धियों के भंडार भरे
गालों पर लाली छा जाए तन निरोगी काया करे
लाल सिंदूर नारी सौंदर्य पिया की आयु बढ़ जाए
लाल टमाटर गाल गुलाबी लाली पिया मन भाए
लाल नयन अंगारे बरसे लाल समर लड़ते सीमा पे
लाल सपूत मां भारती प्राण न्योछावर करे धरा पे
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )