हुस्ने खिलता गुलाब है आज़म
हुस्ने खिलता गुलाब है आज़म
हुस्ने खिलता गुलाब है आज़म
ऐसा वो तो शबाब है आज़म
मैं पीना चाहता हूँ अब खुशियां
पीली ग़म की शराब है आज़म
कैसे करता मैं फ़ोन तुझको ही
फ़ोन मेरा ख़राब है आज़म
रह गयी प्यार की बातें लब पे
दें गया कब ज़वाब है आज़म
उसकी यादों ने घेरा है ऐसा
रोज़ आंखों में आब है आज़म
कैसे देखूँ हसीन वो सूरत
उस चेहरे पे हिजाब है आज़म
नींद में है असर ऐसा उसका
आंखों में उसका ख़्वाब है
️
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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