Ghazal mangne jao
Ghazal mangne jao

मांगने जाओ तो क्या क्या नहीं मांगा जाता

( Mangne jao to kya kya nahi manga jata )

 

 

मांगने जाओ तो क्या क्या नहीं मांगा जाता

पर कभी तेरे अलावा नहीं मांगा जाता

 

आसमाने किसी तारीफ की मुहताज नहीं

आसमानों से हवाला नहीं मांगा जाता

 

 मांगने के भी कुछ आदाब हुआ करते हैं

हर किसी से कोई तोहफा नहीं मांगा जाता

 

बात करने की भी हिम्मत नहीं होती उस से

और नम्बर भी तो उसका नहीं मांगा जाता

 

जाने किस मुह से दुआ मांगता है जन्नत का

जिस गुनहगार से तौबा नहीं मांगा जाता

 

मांगा जाता है मसीहा से दवा ज़ख्मों का

जख्म भर जाने का दावा नहीं मांगा जाता

 

 

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शायर:  Arshiyan Ali Warsi

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