Isliye phool bheja nahi pyar ka
Isliye phool bheja nahi pyar ka

इसलिए फ़ूल भेजा नहीं प्यार का!

( Isliye phool bheja nahi pyar ka )

 

 

इसलिए फ़ूल भेजा नहीं प्यार का!

है फ़रेबी भरा ख़ूब दिल  यार का

 

इसलिए ख़त लिख पाया नहीं हूँ उसे

बेवफ़ा दिल है उस यार दिलदार का

 

रिश्ता रखना है तो रख वरना तोड़ दें

यूं नहीं करना है अच्छा  तक़रार का

 

चाहता हूँ  कभी जो हो पाता नहीं

वक़्त ढ़लता नहीं मेरे  लाचार का

 

नफ़रतों की करे वार बू जो नहीं

सैर कर आया हूँ मैं वो गुलज़ार का

 

देख लेता उसे आँख भरके मैं भी

राह में पहरा है देखो दीवार का

 

होश आज़म नहीं है सिवा उसके कुछ

प्यार का  रोज़ है उसकी दरकार का

 

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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