इतना बड़ा पत्थर दिल नहीं है !
( Itna bada patthar dil nahin hai )
इतना बड़ा पत्थर दिल नहीं है!
आज़म वफ़ा का क़ातिल नहीं है
जिसनें क़सम खायी साथ दूंगा
वो आज दुख में शामिल नहीं है
समझें नहीं जो मेरे वफ़ा को
वो प्यार के ही क़ाबिल नहीं है
जो भी ख़ुदा से मांगा है मैंने
मुझको हुआ वो हासिल नहीं है
गम का यहां तो मातम है छाया
कोई ख़ुशी की महफिल नहीं है
दिल से भरा हूं मैं तो वफ़ा की
आज़म वफ़ा में बेदिल नहीं है
️
शायर: आज़म नैय्यर
( सहारनपुर )
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