जाने क्यों आज | Jaane Kyun Aaj
जाने क्यों आज
( Jaane Kyun Aaj )
जाने क्यों आज वो निढाल सा था।
उसके रुख़ पर अजब मलाल सा था।
हाय क्या दिन थे प्यार के दिन भी।
दिल की दुनिया में इक धमाल सा था।
कोशिशें यूं भी रायगां ठहरीं।
उसका मिलना ही कुछ मुह़ाल सा था।
फूल झड़ते थे उसके होठों से।
उसका लहजा ही बेमिसाल सा था।
उसकी आमद थी ज़िन्दगानी सी।
उस का जाना मगर ज़वाल सा था।
शुक्रिया तेरा छीन ली तू ने।
ज़िन्दगी क्या थी इक वबाल सा था।
मेहवे ह़ैरत ग़रीब थे सारे।
आज मण्डी में कुछ उछाल सा था।
यूं थी रौनक फ़राज़ चेहरे पर।
दिल में उसका ही कुछ ख़याल सा था।
पीपलसानवी
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